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क्रिकेटर रिंकू सिंह की कहानी, पिता गैस एजेंसी में हाकर, आर्थिक तंगी से लड़ते हुए लिखी सफलता की कहानी

अलीगढ़: मुश्किलों से न घबराने से ही सफलता के रास्ते मिलते हैं। अलीगढ़ के स्टार क्रिकेटर व केकेआर के खिलाड़ी रिंकू सिंह के साथ ऐसा ही हुआ। गैस एजेंसी में हाकर का काम करने वाले खान चंद के बेटे रिंकू की सफलता का सफर आसान नहीं है। आर्थिक तंगी से लड़ते हुए सफलता की कहानी लिखी है। 2009 में जब बल्ला थामा तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। केकेआर के स्टार बल्लेबाज रिंकू सिंह की बल्लेबाजी ने टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

डूबते करियर को मिला सहारा

2012 में ऐसी विषम परिस्थिति भी आई जब डूबते करियर को तिल बराबर सहारा मिला और इस बल्लेबाज ने ताड़ सी सफलता रच दी। वर्ष 1998 में जन्मे रिंकू के घर में आर्थिक तंगी थी। इन हालातों में वह अधिक पढ़ नहीं पाए। मगर, क्रिकेट में रुचि ने भविष्य का रास्ता दिखा गया। 2009 में 11 वर्ष की उम्र में क्रिकेट का ककहरा सीखने को बल्ला थामा।

यूपी की अंडर-16 में हुआ चयन

 आसपास के जिलों में मैच खेलकर पहचान बना ही रहे थे कि 2012 में उत्तर प्रदेश की अंडर-16 टीम में चयन हो गया। इसके बाद 2013 में यूपी अंडर-19 क्रिकेट टीम में चयन, विजय हजारे ट्राफी में 206 और 154 रन की पारियां खेलकर सभी का मन मोह लिया। इसके बाद 2015 में रिंकू का रणजी कैंप के लिए चयन किया गया। 2016 में वह यूपी की रणजी टीम में चयनित किए गए। रणजी में शानदार प्रदर्शन के साथ 2016 में इस क्रिकेटर का मुंबई इंडियंस के कैंप में चयन हुआ था।

रिंकू ने बताया था कि 2012 में उप्र अंडर-16 ट्रायल के लिए नाम चयनित होने के बाद कुछ लोगों ने उनका चयन संबंधित फार्म गायब करने की साजिश रची थी, लेकिन उस वक्त उनके करीबी मित्र जीशान ने उनका साथ दिया था। जीशान का परिचय कानपुर में चयनकर्ता सुरेश शर्मा से था। उन्होंने चयनकर्ता को इस प्रकरण से अवगत कराते हुए रिंकू को खिलाने की सिफारिश की और चयनकर्ता ने मुख्य चयनकर्ता शशिकांत खांडेकर से विचार-विमर्श कर दोबारा ट्रायल कराया और उन्होंने 154 रन की पारी खेलकर चयनकर्ताओं का दिल जीत लिया। 

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