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ऋचा सिंह सपा से निष्कासित; कहा- अखिलेश यादव का एक्शन महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक

समाजवादी पार्टी MLC स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस को लेकर की गई टिप्पणी के खिलाफ मोर्चा खोलने के मामले में रोली तिवारी मिश्रा और ऋचा सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है. समाजवादी पार्टी के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी गई. पार्टी से निकाले जाने के बाद सपा की पूर्व प्रवक्ता ऋचा सिंह ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है.

समाजवादी पार्टी से निष्काषित किये जाने के बाद पूर्व प्रवक्ता डॉ ऋचा सिंह ने कहा, ” बिना कारण बताए या बिना किसी नोटिस के निष्कासित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण और हैरान करने वाला है. साफ है कि समाजवादी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया का कतई पालन नहीं किया गया. रामचरित मानस का समर्थन करने और भगवान श्री राम का नाम लेने की वजह से समाजवादी पार्टी ने निकाला है.”

डॉ ऋचा सिंह ने कहा कि संविधान के भाग तीन में जिसमें हमारे मौलिक अधिकारों का वर्णन है (फंडामेंटल राइट), उस पृष्ठ की शुरुआत भगवान राम लक्ष्मण और भगवती सीता के चित्र से होती है। राम भारत की आत्मा हैं। यहाँ तक कि अल्लामा इक़बाल ने उनको इमामे हिंद माना है। ऐसे में भारत की आध्यात्मिक एवं संवैधानिक आत्मा के साथ मैं खड़ी थी और खड़ी रहूँगी। अगर भगवन राम का अपमान कर अखिलेश अगर अपनहि राजनीती करना चाहते हैं तो मैं इस संबंध में मैं उन्हें याद दिला दूँ कि महंत राजू दास जिनका विवावद स्वामी प्रसाद मौर्या से है वो पंडित या ठाकुर न होकर यादव समाज से आते हैं ।

अखिलेश यादव का एक्शन प्रकिर्तिक न्याय (natural justice) विरोधी, महिला विरोधी और अलोकतांत्रिक है. मुझसे कहा गया था कि मैं स्वामी प्रसाद मौर्य के वक्तव्य का विरोध छोड़ दूँ। मैंने इंकार कर दिया। इसीलिए मुझे बिना नोटिस और बिना कारण बताए निकाला गया है। प्राकृतिक न्याय कहता है की किसे के खिलाफ करवाई करने से पहले उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर के उससे स्पष्टीकरण और उसका पक्ष जाना जाय. अखिलेश यादव ने ऐसा नहीं किया. साथ ही साथ निष्कासन का कोई कारण भी नहीं बताया. शायद कोई कारण है भी नहीं. अखिलेश कारण बताने की स्थिति में नहीं हैं वरना मुझे बताया जाये कि अगर रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध के अतिरिक्त मैंने पार्टी के हितों के विरूद्ध कभी भी कुछ किया हो। जो पार्टी प्रकिर्तिक न्याय (natural justice)  नहीं मानती वो समाजिक न्याय क्या मानेगी! अगर आज रामायण मेला की परिकल्पना करने वाले और भगवान राम को आदर्श मानने वाले डॉ लोहिया जिंदा होते तो उन्हें भी समाज विरोधी पार्टी मतलब समाजवादी पार्टी निकाल देती.

मुझसे ज़्यादा स्वामी प्रसाद पर हमला समाजवादी पार्टी के कई पुरुष नेताओं ने भी किया है परंतु उन्हें निकाल कर पार्टी अपनी विधायक संख्या घटाना नहीं चाहती. वो पुरुष हैं इसलिए भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया. महिलाओं पे एकतरफा करवाई कर के पार्टी ने अपनी महिला विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है.  

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