प्रयागराज: उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद के करीबी बमबाज गुड्डू मुस्लिम 90 के दशक में डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला का बेहद करीबी रहा है। श्रीप्रकाश शुक्ला के एनकाउंटर के बाद गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर से ही कुख्यात ISI एजेंट परवेज टांडा और अतीक अहमद के संपर्क में आ गया और तभी से वह अतीक अहमद के लिए काम करने लगा।
गुड्डू मुस्लिम को बम बनाने से लेकर चलती बाइक पर बम से टारगेट करने में महारथ हासिल है। इसीलिए उसका नाम गुड्डू मुस्लिम से गुड्डू बमबाज पड़ गया। उमेश हत्याकांड में सामने आए CCTV फुटेज में भी गुड्डू बड़े आराम से बमबाजी करता नजर आ रहा है।
गोरखपुर के व्यापारी की ली थी हत्या की सुपारी
साल 2001 में गुड्डू मुस्लिम गोरखपुर जेल में भी बंद था। जानकारों के मुताबिक, उस दरम्यान गुड्डू ने कोतवाली इलाके के एक व्यापारी की हत्या की सुपारी ली थी। जिसे अंजाम देने वो गोरखपुर आया था। लेकिन, वारदात को अंजाम देने से पहले ही पुलिस ने उसे गोरखपुर में दबोच लिया था। दाऊद गैंग और ISI एजेंट के संपर्क में रहने वाले कुख्यात बदमाश परवेज टाडा के साथ उसने करीब डेढ़ से दो साल का वक्त भी गोरखपुर में जेल काटा है। हालांकि, इसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गया था।
गोरखपुर में 90 के दशक में विजय चौक स्थित मेनका टॉकिज में कुख्यात बदमाश परवेज टाडा ने बम ब्लास्ट कराया था। उस वक्त परवेज टाडा का आतंक चरम पर था और गुड्डू उसका सबसे करीबी था। बताया जाता है कि इस घटना में भी परवेज के लिए बम गुड्डू मुस्लिम ने ही मुहैया कराया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, परवेज की वजह से ही गुड्डू मुस्लिम की नेपाल बॉर्डर पर भी अच्छी पैठ हो गई। किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद गुड्डू सीधा नेपाल निकल जाता। गोरखपुर में कई घटनाओं में वांछित परवेज टांडा ने डॉन दाउद के बल पर नेपाल में अच्छी साख जमा ली थी। बताया जाता है कि उसे दाऊद का राइट हैंड भी कहा जाने लगा था। दाऊद के संपर्क में आने के बाद परवेज ISI के टच में आकर जाली नोटों का कारोबार करने लगा था।
परवेज की मौत गुड्डू को अतीक के नजदीक लाई
गोरखपुर से फरार अपराधी परवेज टांडा ने नेपाल में जाली नोटों के कारोबार से खूब पैसा कमाया। वो नेपाल में इलेक्शन लड़ने की तैयारी कर रहा था। इसी बीच 25 दिसंबर 2009 को नेपाल में परवेज की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके बाद परवेज का गैंग खत्म हो गया।
वहीं, उसका करीबी गुड्डू मुस्लिम ने प्रयागराज की ओर अपना रुख कर लिया। प्रयागराज में वह अतीक के संपर्क में आया। गोरखपुर STF ने भी एक बार गुड्डू मुस्लिम को अरेस्ट किया था। तब अतीक अहमद ने ही पैरवी कर उसे जेल से बाहर निकालने में मदद की थी।
कई घटनाओं में आया है गुड्डू का नाम
पुलिस विभाग के रिटायर्ड सीओ शिवपूजन यादव बताते हैं, 90 से 2000 के दशक में मैं गोरखपुर पुलिस विभाग में था। उस वक्त गुड्डू मुस्लिम का कई बड़ी घटनाओं में नाम आया था। उस समय नेपाल बॉर्डर पर इसका हमेशा लोकेशन मिलता रहता था। किसी भी घटना को अंजाम देने के बाद गुड्डू नेपाल भागकर वहीं शरण लेता था
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