तंबाकू या उससे बने उत्पादों की बिक्री के लिए अब लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। नगर निगम ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव बाद नव गठित नगर निगम के नव गठित मिनी सदन में इस प्रस्ताव को पारित कराने की तैयारी है। प्रदेश के कुछ शहरों में तंबाकू बिक्री पर यह नीति लागू होने के बाद अब प्रयागराज में भी लाइसेंस जारी करने की निगम प्रशासन ने तैयारी कर ली है।
सोमवार को नगर निगम के बहुउद्देश्यीय सभागार में तंबाकू वेंडर लाइसेंस प्रावधान लागू करने के लिए तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ एवं उत्तर प्रदेश वालियंटरी हेल्थ एसोसिएशन लखनऊ की ओर से कार्यशाला हुई। इसमें तंबाकू विक्रेताओं को वेंडर लाइसेंस प्रणाली की विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि लाइसेंस प्रणाली लागू होने से तंबाकू बिक्री सीमित होगी। साथ ही तंबाकू से होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया गया। तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश सिंह का कहना था कि तंबाकू के सेवन से हो रही मौतों को रोकने के लिए वेंडर लाइसेंस प्रणाली को जल्द लागू करना आवश्यक है।
तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के जनपद सलाहकार डॉ. शैलेश कुमार मौर्या ने भी इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी सी। उनका कहना है कि कोटपा अधिनियम 2003 को पूरी तरह से लागू करने के लिए इसकी धारा 456 एवं 7 का अनुपालन अनिवार्य होना चाहिए। इस दौरान अफसरों ने तंबाकू नियंत्रण पर रणनीति पर भी चर्चा की। उनका कहना था कि नगर निगम बोर्ड की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव लाया जाएगा, ताकि इसे लागू किया जा सके।
उत्तर प्रदेश वालियंटरी हेल्थ एसोसिएशन के रीजनल कोआर्डिनेटर पुनीत कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि सभी नगर निगमों में तंबाकू वेंडर लाइसेंस लागू होना है। इस उपविधि के लागू होने के बाद नगर निगम सीमा क्षेत्र में कोई भी दुकानदार बिना लाइसेंस के तंबाकू उत्पाद व सिगरेट आदि की बिक्री नहीं कर पाएंगे। पहली बार पकड़े जाने पर 2000 रुपये, दूसरी बार पकड़े जाने पर 5000 और तीसरी बार पकड़े जाने पर 5000 जुर्माना और प्राथमिकी दर्ज होगी। पंजीकरण एक साल के लिए होगा। इसके बाद नवीनीकरण कराना होगा। अस्थायी दुकान के लिए 200 रुपये और स्थायी दुकान स्वामी को 1000 रुपये पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा। थोक बिक्री के लिए 5000 रुपये एक साल के लिए शुल्क के रूप में देना होगा।
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