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प्रो. राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय ने की बड़ी कार्रवाई, 270 कॉलेजों पर जुर्माना लगाया, जांच में खुलेआम मिली नकल

प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह ने सामूहिक नकल के दोषी 270 संघटक महाविद्यालयों के खिलाफ 75000 रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक जुर्माना लगाया है। इसके अलावा 43 कॉलेजों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें डिबार कर दिया है।

राज्य विश्वविद्यालय ने प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, फतेहपुर जनपद में स्थित 693 संगठक महाविद्यालयों में से 392 महाविद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया था। सत्र 2021-2022 के स्नातक प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष की परीक्षा इन्हीं कॉलेजों में कराई गई है। परीक्षा के दौरान फ्लाइंग स्क्वायड, कंट्रोल रूम से मिली सूचना और परीक्षकों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा समिति ने 270 महाविद्यालयों को सामूहिक नकल का दोषी पाया। इसके बाद यह निर्णय लिया गया है।

शासन की मंशा नकलविहीन परीक्षा कराने की है। बावजूद इसके लाख प्रयास करने पर भी सामूहिक नकल पर राज्य विश्वविद्यालय अंकुश नहीं लगा पाया है। यही कारण है कि प्रयागराज जनपद में ही 160 ऐसे महाविद्यालय है, जिनमें सामूहिक नकल पाई गई। इसके अलावा फतेहपुर में 40 महाविद्यालय, कौशांबी में 30 और प्रतापगढ़ में 38 ऐसे महाविद्यालय हैं, जिनमें सामूहिक नकल कराते हुए पाया गया। इनमें से 15 कालेजों को 2 साल के लिए डिबार कर दिया है। इन महाविद्यालयों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। सामूहिक नकल में दोषी पाए गए इन महाविद्यालयों को सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए केंद्र नहीं बनाया गया है।

प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि परीक्षा समिति के निर्णय पर यह कार्रवाई की गई है। शासन की मंशा के अनुरूप नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए कठोर से कठोर कदम उठाने के लिए हम तैयार हैं।

उड़ाका दलों की जांच में खुलेआम नकल पाए जाने के बाद यह कार्रवाई की गई है। कुछ महाविद्यालयों में सभी छात्रों के उत्तर एक जैसे होने पर उनके खिलाफ सामूहिक नकल के सुबूत पाए गए। यहां या तो बोल कर छात्र-छात्राओं को काफी लिखवाई जा रही थी या फिर उन्हें खुलेआम नकल सामग्री प्रयोग करने की छूट दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक इन महाविद्यालयों में छात्र-छात्राओं से नकल कराने के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। यह रकम उड़ाका दलों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक में बाटी जाती है। यही कारण है कि ज्यादातर महाविद्यालयों में नकल होने के बावजूद पकड़ी नहीं जाती है।

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