आगरा: इस बार ग्रहों और नक्षत्रों से ऐसा संयोग बना है कि 2021 की शुरुआत में हरिद्वार में होने वाला महाकुंभ 11वें साल में ही आयोजित हो रहा है| लेकिन इस बार ऐसा डेढ़ सौ साल से ज़्यादा के समय में तीसरी बार ग्रह-नक्षत्र ऐसे बने हैं कि कुंभ 12 के बजाय 11 साल में ही होने जा रहा है| हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कुंभ काल में कुंभ क्षेत्र का जल अमृतमय हो जाता है तो कोरोना काल के बीच हरिद्वार में गंगा नदी के अमृत को चखने के लिए तैयार हो जाइए|
महाकुंभ के 12 साल में मनाए जाने के पीछे कारण यह माना जाता है कि 12 साल के समुद्र मंथन के बाद ही उससे अमृत का कलश निकला था| इसकी बूंदें हरिद्वार, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं| इसलिए 12 साल बाद इन स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है|
ज्योतिषाचार्य संतोष बडोनी इस बार 11वें साल में ही कुंभ होने के कारण बताते हैं| वह कहते हैं कि हरिद्वार महाकुंभ का योग 2021 में इसलिए बन रहा है क्योंकि मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति हैं| इनकी वजह से 2022 में होने वाला आयोजन 2021 में ही किया जा रहा है|
स्नान के दिन
कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी-तीसरी लहर आने के चलते अभी तक यह साफ़ नहीं है कि कुंभ का आयोजन कितने बड़े स्तर पर होगा और किन शर्तों के साथ… लेकिन परंपरानुसार स्नान तो होंगे ही, जिनकी तारीखें तय हो चुकी हैं| सबसे पहले शाही स्नान के दिनों पर नज़र डालते हैं|
पहला शाही स्नान गुरुवार, 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन होगा|
दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या के दिन होगा|
तीसरा शाही स्नान जो कुंभ का मुख्य स्नान भी है 14 अप्रैल को मेष संक्रांति और बैसाखी के दिन होगा|
चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर होगा|
अन्य प्रमुख स्नान
पहला… गुरुवार, 14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति के दिन
दूसरा… गुरुवार, 11 फरवरी को मौनी अमावस्या पर
तीसरा… मंगलवार, 16 फ़रवरी को बसंत पंचमी के दिन
चौथा… शनिवार, 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन
पांचवां… मंगलवार, 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नव संवत्सर पर
छठा… बुधवार, 21 अप्रैल को राम नवमी पर
1855 और 1938 में 11 साल पर हुए थे कुंभ
हमने ऊपर भी बताया था कि पहली बार महाकुंभ की अवधि 12 साल से घट कर 11 साल नहीं हुई है| आईजी कुंभ संजय गुंज्याल के अनुसार इससे पहले साल 1938 और उससे पहले साल 1855 में भी ऐसे ही योग बने थे जब महाकुंभ का आयोजन 11वें साल में हुआ था| यानी 166 साल में ऐसा तीसरी बार हो हो रहा है और वह भी ठीक 83-83 साल के अंतराल पर|
आईजी कुंभ कहते हैं कि मार्च महीने के बाद शाही स्नानों की तारीख लगातार निकट आती है जो प्रशासन के लिए सुरक्षिक स्नान करवाना बड़ी चुनौती बन जाती है| ख़ासतौर पर इस बार कोरोना महामारी के चलते इन सभी स्नानों को सुरक्षित करवाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है|